Potato : हमारा आलू कभी टमाटर था, संयोग से पैदा हुआ, आदिवासियों ने बचाया

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हमारे रोजमर्रा के खाने में शामिल एक सीधा-साधा आलू (Potato), दरअसल एक बेहद रोचक और पुरानी जैविक कहानी का हिस्सा है। नई वैज्ञानिक खोजों ने इस बात पर से पर्दा उठा दिया है कि आलू की शुरुआत कैसे हुई।

हर भारतीय रसोई में आलू की एक खास जगह है। चाहे सब्जी हो, पराठा हो या समोसा - आलू न हो तो स्वाद अधूरा लगता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये आलू आखिर आया कहां से? क्या ये कोई प्राकृतिक सब्जी है या किसी अनोखी कहानी का नतीजा?

वैज्ञानिकों ने अब इसका रहस्य सुलझा लिया है। और जवाब चौंकाने वाला है - आलू दरअसल टमाटर और एक जंगली पौधे के 'प्राकृतिक मेल' से बना है!

आलू की पैदाइश करीब 9 मिलियन साल पहले हुई थी, वो भी एक अनोखे 'प्राकृतिक शादी' (Natural Interbreeding) के कारण - जब एक प्राचीन टमाटर पौधा (Ancient Tomato Plant) और एक जंगली आलू जैसा पौधा (S. etuberosum) आपस में मिले यानी प्राकृतिक रूप से एक-दूसरे से परागण हो गया।

लेकिन उस समय ये पौधे वे नहीं थे जिन्हें हम आज के टमाटर या आलू के रूप में जानते हैं। टमाटर का पौधा उस समय भी टमाटर जैसा था, लेकिन आलू जैसा पौधा ट्यूबर (Tuber) नहीं 

बनाता था यानी जमीन के नीचे वो मोटा हिस्सा नहीं बनता था जिसे हम आलू कहते हैं।

आलू कैसे बना? (How was potato formed)

वैज्ञानिकों ने पाया कि ये दोनों पौधे जब आपस में मिले, तो उनके DNA ने मिलकर ट्यूबर बनाने की क्षमता पैदा कर दी।

इस नई प्रजाति में दो खास जीन सामने आए, जो आज के आलू की संरचना और जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं  - SP6A Gene, जो टमाटर में मिलता है। यह जीन ट्यूबर के बनने का 'मास्टर स्विच' है यानी बिना इसके ट्यूबर बन ही नहीं सकते।

दूसरा जीन है IT1 Gene, यह जंगली आलू (Wild Potato - S. etuberosum) का है। यह जीन जमीन के नीचे मोटा तना बनने में मदद करता है।

वैज्ञानिकों के प्रयोग में यह साफ हुआ कि यदि इनमें से कोई भी जीन न हो, तो या तो ट्यूबर बनेगा ही नहीं या बहुत छोटा और कमजोर बनेगा।

इस तरह विकसित हुआ आलू (Potato Evolution Timeline)

6-10 मिलियन साल पहले जब एंडीज की पहाड़ियां उभर रही थीं, तब इस हाइब्रिड पौधे ने ट्यूबर बनाना शुरू किया। इससे लगभग 180 जंगली आलू की प्रजातियां (Wild Potato Species) बनीं, हालांकि इनमें से ज्यादातर कड़वी या जहरीली थीं।

करीब 20,000 साल पहले, एंडीज में रहने वाली आदिवासी जनजातियों ने एक स्वादिष्ट और सुरक्षित जंगली आलू खोज निकाला। उन्होंने इसे खेती के लायक बनाया, और फिर सैकड़ों किस्मों की रचना की। जब स्पैनिश खोजकर्ता दक्षिण अमेरिका पहुंचे, तो वे आलू को यूरोप ले गए - जहां से यह पूरी दुनिया में फैल गया।

आज का Solanum tuberosum यानी खेती वाला आलू, उसी हाइब्रिड से निकली एक उन्नत किस्म है।

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आलू को मिला 'बेस्ट ऑफ बोथ वर्ल्ड्स'

टमाटर गर्म और सूखे इलाके पसंद करता है, जबकि S. etuberosum ठंडे और नम इलाकों में फलता है।

आलू ने दोनों से मौसम सहनशीलता के गुण ले लिए। नतीजा यह हुआ कि आलू का पौधा ठंडी और सूखी, दोनों जगहों में उग सकता है।

आज संकट में आलू

हजारों बरसों से आलू ने खुद को बचाकर रखा है। उसने दुनियाभर में रहना सीख लिया। लेकिन अब उस पर संकट आ चुका है। इंसानों ने ज्यादा उपज और रोगों से बचाने के लिए आलू की जो किस्में विकसित की हैं, उससे जेनेटिक विविधता घट गई है। 

अब ये फसल जलवायु परिवर्तन (Climate Change), गर्मी (Heatwaves) और बाढ़ (Floods) के प्रति अधिक संवेदनशील हो गई है।

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